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Contents
Chand Raat Mubarak Shayari
बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर
पलकों से लिख रहा था तेरा नाम चाँद पर
चाँद तारो में नज़र आये चेहरा आपका
जब से मेरे दिल पे हुआ है पहरा आपका
हमने क़सम खायी है चाँद को चाँद रहने देंगे
चाँद में अब तुम को ना ढूँढा करेंगे
चाँद मत मांग मेरे चाँद जमीं पर रहकर
खुद को पहचान मेरी जान खुदी में रहकर

है चाँद सितारों में चमक तेरे प्यार की
हर फूल से आती है महक तेरे प्यार की
मेरा और उस चाँद का मुक़द्दर एक जैसा है
वो तारो में तन्हा मैं हजारो में तन्हा

इजाजत हो तो मैं भी तुम्हारे पास आ जाऊँ
देखों ना चाँद के पास भी तो एक सितारा है
रातों में टूटी छतों से टपकता है चाँद
बारिशों सी हरकतें भी करता है चाँद

बुझ गये ग़म की हवा से प्यार के जलते चराग
बेवफ़ाई चाँद ने की पड़ गया इसमें भी दाग
ऐ चाँद चला जा क्यों आया है तू मेरी चौखट पर
छोड़ गया वो शख्स जिसके धोखे में तुझे देखते थे
chand par Shayari
चाँद हो या न हो चांदनी रात है
मैं तेरे साथतू मेरे साथ है !
चलो चाँद का किरदार अपना लें हम दोस्तो
दाग अपने पास रखें और रौशनी बाँट दें

चाँद तो अपनी चाँदनी को ही निहारता है
उसे कहाँ खबर कोई चकोर प्यासा रह जाता है
चाँद को तो चाहने वाले है सभी
पर देखना ये है की चाँद किस पर फ़िदा होता है

सुबह हुई कि छेडने लगता है सूरज मुझको
कहता है बडा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो
ना चाँद चाहिए ना फलक चाहिए
मुझे बस तेरी की एक झलक चाहिए

जिन आँखों में काजल बन कर तैरी काली रात
उन आँखों में आंसू का इक कतरा होगा चाँद
सारी रात गुजारी हमने इसी इन्तजार में की
अब तो चाँद निकलेगा आधी रात में

रात को रोज़ डूब जाता है
चाँद को तैरना सिखाना है मुझे
इश्क तेरी इन्तेहाँ इश्क मेरी इन्तेहाँ
तू भी अभी न-तमाम मैं भी अभी न-तमाम
आज टूटेगा गुरूर चाँद का देखना दोस्तो
आज मैंने उन्हें छत पर बुला रखा है
chand pe shayari
सुबह हुई कि छेड़ने लगता है सूरज मुझको
कहता है बड़ा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो
कभी तो आसमान से चाँद उतरे जाम हो जाए
तुम्हारे नाम की एक ख़ूबसूरत शाम हो जाए

मुझे ये ज़िद है कभी चाँद को असीर करूँ
सो अब के दरिया में एक दाएरा बनाना है
न चाहते हुए भी मेरे लब पर
ये फरियाद आ जाती है
ऐ चाँद सामने न आ
सनम की याद आ जाती है

तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैं
चाँद कहता रह गया मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ
ढूँढता हूँ मैं जब अपनी ही खामोशी को
मुझे कुछ काम नहीं दुनिया की बातों से
आसमाँ दे न सका चाँद अपने दामन का
माँगती रह गई धरती कई रातों से

कल चौदहवी की रात थी रात भर रहा चर्चा तेरा
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा
क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है

चलो चाँद का किरदार अपना लें हम
दाग अपने पास रखें और रौशनी बाँट दें
मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की जरा आँख लगे
चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके
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पत्थर की दुनिया जज़्बात नहीं समझती
दिल में क्या है वो बात नहीं समझती
तनहा तो चाँद भी सितारों के बीच में है
पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती
इक अदा आपकी दिल चुराने की
इक अदा आपकी दिल में बस जाने की
चेहरा आपका चाँद सा और एक
हसरत हमारी उस चाँद को पाने की

रात भर आसमां में हम चाँद ढूढ़ते रहे
चाँद चुपके से मेरे आँगन में उतर आया
क्यों मेरी तरह रातों को रहता है परेशान
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है

आसमान और ज़मीं का है फासला हर-चंद
ऐ सनम दूर ही से चाँद सा मुखड़ा दिखला
आज टूटेगा गुरूर चाँद का तुम देखना यारो
आज मैंने उन्हें छत पर बुला रखा है
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ऐ काश हमारी क़िस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए
एक चाँद फ़लक पर निकला हो एक छत पर आ जाए
तू अपनी निगाहों से न देख खुद को
चमकता हीरा भी तुझे पत्थर लगेगा
सब कहते होंगे चाँद का टुकड़ा है तू
मेरी नजर से चाँद तेरा टुकड़ा लगेगा
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है
उसपे शबाब का रंग गहरा है
खुदा को यकीन न था वफ़ा पे
तभी चाँद पे तारों का पहरा है
ढूँढता हूँ मैं जब अपनी ही खामोशी को
मुझे कुछ काम नहीं दुनिया की बातों से
आसमाँ दे न सका चाँद अपने दामन का
माँगती रह गई धरती कई रातों से
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